धान में मिट्टी तेल का उपयोग
लेखक: नीलेश शर्मा | दिनाँक: अगस्त 27, 2024
धान में मिट्टी तेल का महत्व
किसान भाइयों! यदि आपने साल 2024 में धान की फसल लगाई हुई है तो आप धान में मिट्टी के तेल का उपयोग करके उपज में अधिक लाभ ले सकते हैं। धान की फसल में मिट्टी के तेल का उपयोग उसमें उत्पन्न होने वाले कीटों जैसे माहू, तेला और पत्ता लपेटक के प्रकोप को नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही धान की जड़ों को खाने वाले दीमक, केचुओं आदि को नष्ट किया जा सकता है। धान में मिट्टी के तेल का उपयोग करके कम लागत खर्च में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस अध्याय के माध्यम से आप धान में मिट्टी के तेल का उपयोग के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
धान में मिट्टी तेल का प्रयोग कब करें?
धान में मिट्टी तेल का प्रयोग धान की रोपाई के दूसरे या तीसरे दिन करना चाहिए जिससे कि जब धान में पानी भरा हो तो वह मिट्टी का तेल आसानी से जड़ों तक पहुंच जाता है। इसका दूसरा प्रयोग धान की फसल में तब करना चाहिए। जब खेत मैं तेला, महू या तना छेदक का प्रकोप शुरुआत में दिखाई दे। इसके प्रयोग के द्वारा धान की फसल को हानि पहुंचाने वाले कीटों से बचा जा सकता है।
धान में मिट्टी तेल का प्रयोग कैसे करें?
धान में मिट्टी तेल का प्रयोग जब हम रोपाई के समय करते हैं तो इसमें मिट्टी के तेल को धान की भूसी में मिलाकर खेत में छिड़काव कर देना चाहिए। छिड़काव करते समय पानी खेत में पूरी तरह से भरा होना चाहिए जिससे मिट्टी का तेल खेत में धान के सभी पौधों तक पहुंच जाएं। यदि धान की भूसी उपलब्ध न हो तो मिट्टी के तेल को बालू या रेत के साथ मिलकर या फिर यूरिया के साथ मिलकर खेत में छिड़काव करने से इन जड़ों में लगने वाले दीमक लाल किट वह तेलअवहू और इतना छेदक कीटों के प्रकोप से बचा जा सकता है। मिट्टी तेल का दूसरा प्रयोग खेत में जब कीट प्रभाव दिखाई देना शुरू हो जाए।इस समय स्प्रे द्वारा खेत में छिड़काव कर देना चाहिए।
धान में मिट्टी तेल के उपयोग की मात्रा
किसान भाइयों धान में मिट्टी का तेल 1 लीटर मिट्टी तेल को 1 एकड़ खेत में बताई हुई विधि के द्वारा छिड़काव या स्प्रे द्वारा प्रयोग करना चाहिए।
धान में मिट्टी तेल के उपयोग के फायदे
धान में मिट्टी तेल का प्रयोग करके अधिक लाभ व उपज में फायदा पाया जा सकता है। धान में मिट्टी तेल के प्रयोग के द्वारा फसल में पनपने वाले कीटों के प्रकोप से बचा जा सकता है। किसान भाइयों धान की फसल में मिट्टी तेल का प्रयोग, उचित मात्रा व विधि के द्वारा निर्धारित समय अनुसार करने पर जड़ों में लगने वाले कीट दिमाग, केंचुआ या लाल किट व तनाछेदक, तेला, महू के प्रकोप से बचा जा सकता है।
ध्यान दे :- "उपयुक्त लेख में दी गई जानकारी स्वयं के अनुभव व शैक्षणिक स्रोतो के माध्यम से प्राप्त करके प्रस्तुत की गई है"