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धान में सुंडी की दवा: कैसे करें प्रयोग, सही मात्रा, और असरदार उपाय

लेखक: नीलेश शर्मा | दिनाँक: अगस्त 21, 2024

धान की खेती में सुंडी (paddy caterpillars) का प्रकोप एक गंभीर समस्या है, जो फसल की उत्पादन क्षमता को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है। सुंडी के प्रकोप से बचने के लिए सही दवाओं का प्रयोग, उनकी सही मात्रा और असरदार उपायों को अपनाना आवश्यक है। इस लेख में हम धान में सुंडी के नियंत्रण के लिए उपयोग की जाने वाली प्रमुख दवाओं, उनके प्रयोग की विधि, सही मात्रा और कुछ प्रभावी उपायों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

सुंडी का परिचय और प्रभाव

सुंडी धान के पौधों के तनों में प्रवेश कर उन्हें अंदर से खाती है, जिससे पौधा कमजोर होकर सूख जाता है। यह प्रकोप फसल के विभिन्न विकास चरणों में हो सकता है, जिससे पैदावार में भारी कमी आती है। इस किट की केवल सुंडी ही हानि पहुंचती है। प्रौढ़ कीट क्षति नहीं करते। केवल संतति बढ़ाने में सहायक होते हैं। सुंडी के काटने तथा चबाने वाले मुखांग होते हैं। यह पौधे के कोमल भागों को विशेष कर पत्तियों को खाती है। नवजात सुंडियाँ झुंड में पत्तियों की सतह पर बुरी तरह से खाती हैं जिससे उनकी हरी पर्त समाप्त हो जाती है तथा केवल शिराएँ ही दिखती हैं। पांच या 6 दिन पश्चात जब सुंडीय कुछ बड़ी हो जाती हैं तो यह अलग-अलग पत्तियों पर फैल जाती हैं तथा पूरी ही पट्टी को खा जाती हैं

धान में सुंडी के नियंत्रण के लिए प्रमुख दवाएं

यदि इनका प्रकोप हो चुका है तो ऐसी दशा में निम्नलिखित दवाइयां में से किसी एक की दी गई मात्रा का प्रति हेक्टेयर की दर से बुरक़ाव करना चाहिए-

1. Carbofuran 3% G

2. Chlorantraniliprole 0.4% GR

3. फ़ालीडाल ( 2% धूल )

  • ब्रांड्स: Reshamwala
  • मात्रा: 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
  • प्रयोग विधि: इस दवा को धान के खेत में सीधा डालें, या तो रोपाई के समय या फिर तना निकलने की अवस्था में।
  • उपयोग दिशानिर्देश:

4. गामा बी. एच . सी . ( लिंडेन 2% धूल )

4. मालाथियान ( 2% धूल )

  • ब्रांड्स: Katyayni products
  • मात्रा: 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
  • प्रयोग विधि: इस दवा को धान के खेत में सीधा डालें, या तो रोपाई के समय या फिर तना निकलने की अवस्था में।
  • उपयोग दिशानिर्देश:

निम्न दावाओं की दी गई मात्रा को आवश्यक पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने पर भी लाभदायक परिणाम मिलते हैं।

1. क्वूनलफास 20% EC

  • ब्रांड्स: Cykill (Azeel Crop Science Limited)
  • मात्रा: 2.5-3.0 लीटर प्रति हेक्टेयर, 500-1000 लीटर पानी के साथ मिलाकर।
  • प्रयोग विधि: दवा को पानी में घोलकर पौधों पर स्प्रे करें, जब कीटों का प्रकोप प्रारंभिक अवस्था में हो।
  • उपयोग दिशानिर्देश:

2. Chlorpyrifos 20% EC

  • ब्रांड्स: Dursban, Chlorosel, Durmet
  • मात्रा: 500 मिलिलीटर प्रति हेक्टेयर, 500-1000 लीटर पानी के साथ मिलाकर।
  • प्रयोग विधि: दवा को पानी में घोलकर पौधों पर स्प्रे करें, जब कीटों का प्रकोप प्रारंभिक अवस्था में हो।
  • उपयोग दिशानिर्देश:

2. नूवान 78% EC

  • ब्रांड्स: Insecticides India Ltd
  • मात्रा: 500 मिलिलीटर प्रति हेक्टेयर, 500 मिलीलीटर पानी के साथ मिलाकर।
  • प्रयोग विधि: दवा को पानी में घोलकर पौधों पर स्प्रे करें, जब कीटों का प्रकोप प्रारंभिक अवस्था में हो।
  • उपयोग दिशानिर्देश:

दवाओं का सही प्रयोग और असरदार उपाय

  • दवा का चयन: फसल की स्थिति और कीट के प्रकोप को देखते हुए उचित दवा का चयन करें। कृषि विशेषज्ञ की सलाह से दवा चुनें।
  • समय पर प्रयोग: दवा का छिड़काव तब करें जब कीटों का प्रकोप प्रारंभिक अवस्था में हो। इससे फसल को नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
  • प्राकृतिक उपाय: नीम के तेल जैसे जैविक तरीकों का भी प्रयोग करें। ये कीटों को नियंत्रित करने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होते हैं।
  • फसल चक्र: फसल चक्र में बदलाव करने से कीटों के जीवन चक्र में बाधा उत्पन्न होती है, जिससे सुंडी की समस्या को कम किया जा सकता है।
  • पानी का प्रबंधन: पानी का सही प्रबंधन करना आवश्यक है। अधिक पानी भरने से सुंडी के अंडे और लार्वा नष्ट हो सकते हैं।

निष्कर्ष

धान की फसल में सुंडी का प्रकोप एक गंभीर समस्या है, लेकिन सही दवा, सही मात्रा और उचित उपायों के साथ इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इस लेख में बताए गए तरीकों और सुझावों का पालन करके आप अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और पैदावार में वृद्धि कर सकते हैं। हमेशा ध्यान रखें कि दवाओं का प्रयोग कृषि विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार करें और पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक उपायों को भी अपनाएं।

ध्यान दे :- "उपयुक्त लेख में दी गई जानकारी स्वयं के अनुभव व शैक्षणिक स्रोतो के माध्यम से प्राप्त करके प्रस्तुत की गई है"